मध्यप्रदेश सिविल सेवा (अवकाश) नियम, 1977 के अनुसार परिवीक्षा अवधि, विभिन्न प्रकार के अवकाश, और उनके प्रभाव से संबंधित प्रावधान निम्न अध्याय और नियमों में उल्लेखित हैं:
अध्याय और नियम
- परिवीक्षा अवधि में छुट्टी: नियम 12 के तहत अवकाश के प्रकार और उनकी पात्रता का विवरण है।
- संतान पालन अवकाश: यह नियम 38 में निर्दिष्ट किया गया है, जिसमें अधिकतम 730 दिनों तक का अवकाश दिया जा सकता है।
- आकस्मिक अवकाश (Casual Leave): यह नियम 19 में वर्णित है, जिसमें परिवीक्षा अवधि के दौरान सीमित उपयोग की अनुमति है।
- अवकाश का प्रभाव: नियम 22 में स्पष्ट किया गया है कि यदि अवकाश निर्धारित सीमा से अधिक लिया जाता है, तो यह परिवीक्षा अवधि को प्रभावित कर सकता है।
- संशोधन और नवीनतम प्रावधान:
- 2011 और 2015 में हुए संशोधनों में संतान पालन अवकाश और मातृत्व अवकाश की शर्तों को विस्तारित किया गया है।
- पितृत्व अवकाश को नियम 38A में जोड़ा गया है।
संशोधन से जुड़े बिंदु
- जुलाई 2011: परिवीक्षा अवधि और अवकाश की पात्रता में बदलाव।
- अगस्त 2015: संतान पालन अवकाश की स्पष्टता और विस्तार।
- सितंबर 2015: पितृत्व अवकाश और बार-बार पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs) के स्पष्टीकरण।
मुख्य बिंदु:
- परिवीक्षा अवधि का विस्तार: संतान पालन और पितृत्व अवकाश, यदि अधिकतम सीमा तक उपयोग किया जाता है, तो यह परिवीक्षा अवधि को बढ़ा सकता है।
- आकस्मिक अवकाश का सीमित उपयोग परिवीक्षा अवधि पर प्रभाव नहीं डालता।
अधिक जानकारी के लिए आप इन लिंक पर जाकर संबंधित अधिनियम और संशोधन देख सकते हैं:
जुलाई 2011 में हुए परिवर्तनों में मध्यप्रदेश सिविल सेवा (अवकाश) नियम, 1977 के तहत परिवीक्षा अवधि और अवकाश की पात्रता से संबंधित निम्नलिखित प्रमुख बदलाव किए गए थे:
मुख्य संशोधन:
- परिवीक्षा अवधि में अवकाश की स्पष्टता:
- यह सुनिश्चित किया गया कि अनुग्रहित अवकाश (Extraordinary Leave), जो बिना वेतन का होता है, को परिवीक्षा अवधि में मान्य कार्यकाल (qualifying service) में नहीं गिना जाएगा। इससे परिवीक्षा अवधि बढ़ सकती है।
- मातृत्व अवकाश और अनुग्रहित अवकाश का प्रभाव:
- यदि मातृत्व अवकाश (Maternity Leave) और संतान पालन अवकाश (Child Care Leave) परिवीक्षा अवधि के दौरान लिया गया हो, तो इसे पात्रता के तहत अनुमति दी गई, लेकिन लंबी अनुपस्थिति के मामले में परिवीक्षा अवधि बढ़ाई जा सकती है।
- अनुपस्थिति के लिए सख्त प्रावधान:
- अनधिकृत अनुपस्थिति या बिना पूर्व अनुमति के अवकाश लेने की स्थिति में, इसे परिवीक्षा अवधि बढ़ाने का कारण माना गया।
- पितृत्व अवकाश का समावेश:
- परिवीक्षा अवधि के दौरान पितृत्व अवकाश को मान्य किया गया और इसे अधिकतम 15 दिनों की अवधि तक स्वीकृत करने का निर्देश दिया गया।
प्रभाव:
लंबी अवधि की अनुपस्थिति या अनधिकृत छुट्टी से मूल्यांकन बाधित होने पर परिवीक्षा अवधि बढ़ाने का अधिकार विभागीय प्रमुखों को दिया गया।
अधिक जानकारी के लिए आप संबंधित संशोधन अधिसूचना का संदर्भ ले सकते हैं:
मध्यप्रदेश सिविल सेवा अवकाश नियम 1977 एवं संशोधन
- परिवीक्षा अवधी में मिलने वाले अवकाश।
- पात्र अवकाश
- अपात्र अवकाश
- मातृत्व अवकाश
- संतान पालन अवकाश
- पित्रत्व अवकाश
- किन स्थितियों में परिवीक्षा अवधी बढ़ेगी?
अवकाश नियम 1977 का अध्याय-1 के नियमें 32 में परिवीक्षाकालीन अवकाश को परिभाषित किया गया है।
(1) (क) किसी परिवीक्षाधिन व्यक्ति को, यदि वह अपने पद को परिवीक्षा के अलावा मौलिक रुप से धारण करता है तो उसे इन नियमों के अधिन स्विकार्य अवकाश की पात्रता होगी।
2) प्रशिक्षु को पात्रता होगी-
- चिकित्सा प्रमाण पत्र पर अवकाश।
अर्धवेतनिक अवकाश। (एक वर्ष में एक माह से अधिक नही होगा)
- नियम 31 के अधिन असाधरण अवकाश ।
मध्यप्रदेश सिविल सेवा (अवकाश) नियम, 1977 के अनुसार सरकारी कर्मचारियों को आकस्मिक अवकाश (Casual Leave) का अधिकार होता है। यह अवकाश निम्नलिखित शर्तों और प्रावधानों के तहत मिलता है:
आकस्मिक अवकाश के प्रावधान:
- अवधि:
- एक वर्ष में कुल 12,13 दिन तक आकस्मिक अवकाश का अधिकार होता है।
- यह अवकाश प्रत्यक्ष कार्य दिवसों के लिए होता है और इसे अगले वर्ष में स्थानांतरित नहीं किया जा सकता।
- स्वीकृति की आवश्यकता:
- आकस्मिक अवकाश पूर्व सूचना देकर लिया जाना चाहिए, लेकिन आपात स्थितियों में बाद में सूचना दी जा सकती है।
- टूटे हुए दिन:
- आकस्मिक अवकाश को छोटे-छोटे हिस्सों में (एक से तीन दिन) लिया जा सकता है।
- इसे लंबी अवधि के लिए लगातार नहीं लिया जा सकता, अन्यथा इसे अन्य प्रकार के अवकाश में परिवर्तित किया जा सकता है।
- विशेष परिस्थिति:
- आकस्मिक अवकाश विशेष आपातकालीन स्थितियों जैसे व्यक्तिगत कारणों, स्वास्थ्य, या सामाजिक कार्यों के लिए दिया जाता है।
- त्योहार या अन्य अवसर:
- यदि त्योहार या अन्य सामाजिक अवसरों के लिए आकस्मिक अवकाश लिया जा रहा है, तो यह संस्थान के प्रमुख की स्वीकृति के अधीन होता है।
परिवीक्षा अवधि में:
परिवीक्षा अवधि में भी आकस्मिक अवकाश का अधिकार होता है, लेकिन इसका दुरुपयोग या अत्यधिक उपयोग परिवीक्षा अवधि को बढ़ाने का कारण बन सकता है।
नोट:
आकस्मिक अवकाश का उद्देश्य आपात स्थिति के लिए है और इसे नियमित या विस्तारित छुट्टियों के रूप में उपयोग करने की अनुमति नहीं होती। यह नियम राज्य के सरकारी विभागों और सेवाओं में लागू होता है।
1. परिवीक्षा अवधि में मिलने वाले अवकाश:
परिवीक्षा अवधि के दौरान निम्न प्रकार के अवकाश का अधिकार होता है:
(a) आकस्मिक अवकाश (Casual Leave):
- हर कर्मचारी को एक वर्ष में 12,13 दिनों का आकस्मिक अवकाश मिलता है।
- यह किसी आपातकालीन स्थिति या व्यक्तिगत कारणों के लिए लिया जा सकता है।
- आकस्मिक अवकाश का उपयोग छोटी अवधि के लिए किया जाता है।
(b) अस्पताल/मेडिकल अवकाश (Medical Leave):
- अगर कर्मचारी बीमार है और डॉक्टर का प्रमाणपत्र प्रस्तुत करता है, तो चिकित्सा अवकाश लिया जा सकता है।
(c) मातृत्व अवकाश (Maternity Leave):
- महिला कर्मचारियों को परिवीक्षा अवधि के दौरान भी 180 दिनों का मातृत्व अवकाश लेने का अधिकार है। सम्पूर्ण कार्यकाल में अधिकतम 730 दिन ।
- यह अवकाश कर्मचारी की सेवा में बाधा नहीं डालता।
(d) विशेष अनुग्रहित अवकाश (Extraordinary Leave):
- यह अवकाश विशेष परिस्थितियों में लिया जा सकता है, लेकिन यह आमतौर पर बिना वेतन होता है।
- इसमें निम्न एवं उच्च कार्यलय का अनुमोदन आवश्यक होता है और इसकी सीमा तय होती है।
2. परिवीक्षा अवधि में न मिलने वाले अवकाश:
परिवीक्षा अवधि में निम्नलिखित अवकाश का अधिकार नहीं होता है, क्योंकि यह अवधि कर्मचारी के कार्य प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के लिए होती है:
(a) अर्जित अवकाश (Earned Leave):
- अर्जित अवकाश का अधिकार केवल नियमित सेवा में मिलता है।
- परिवीक्षा अवधि में यह अवकाश आमतौर पर नहीं दिया जाता, क्योंकि कर्मचारी ने अभी तक अपनी सेवा का पूर्ण योगदान नहीं दिया होता।
(b) अध्ययन अवकाश (Study Leave):
- यह अवकाश केवल स्थायी कर्मचारियों को दिया जाता है।
- परिवीक्षा अवधि में इसे स्वीकृत नहीं किया जाता, क्योंकि यह लंबी अवधि का अवकाश होता है।
(c) सेवानिवृत्ति के बाद का अवकाश (Leave Preparatory to Retirement):
- यह अवकाश केवल स्थायी कर्मचारी और सेवा के अंतिम वर्षों में स्वीकृत होता है।
- परिवीक्षा अवधि में इसका प्रावधान नहीं होता।
(d) अवकाश यात्रा रियायत (Leave Travel Concession Leave – LTC):
- यह सुविधा भी स्थायी कर्मचारियों को मिलती है।
- परिवीक्षा अवधि में इस अवकाश का लाभ नहीं लिया जा सकता।
3. अवकाश सीमित क्यों होते हैं?
- कार्य मूल्यांकन: परिवीक्षा अवधि का उद्देश्य कर्मचारी की क्षमता और अनुशासन का मूल्यांकन करना है। अधिक अवकाश लेने से यह उद्देश्य बाधित हो सकता है।
- सेवा का अधिकार: कुछ प्रकार के अवकाश (जैसे अर्जित अवकाश) केवल नियमित सेवा के दौरान अर्जित किए जाते हैं, जो परिवीक्षा अवधि में मान्य नहीं होते।
- संवैधानिक शर्तें: कई अवकाश नियमों में यह शर्त होती है कि कर्मचारी स्थायी हो या उसने एक न्यूनतम अवधि तक सेवा की हो।
परिवीक्षा अवधि में कुछ प्रकार के अवकाश लेने पर कर्मचारी की परिवीक्षा अवधि बढ़ाई जा सकती है। इसका मुख्य कारण यह है कि परिवीक्षा अवधि कर्मचारी के कार्य प्रदर्शन और अनुशासन का मूल्यांकन करने के लिए होती है। यदि कर्मचारी अधिक समय तक अनुपस्थित रहता है, तो यह अवधि बढ़ाने का निर्णय लिया जा सकता है।
परिवीक्षा अवधि में अवकाश लेने से जुड़े नियम:
दुरुपयोग या तय सीम से ज्यादा लेने पर परिवीक्षा अवधी को बढ़ाया जा सकता है।
- अनधिकृत अनुपस्थिति (Unauthorized Leave):
- अगर कर्मचारी बिना अनुमति लिए या अवकाश स्वीकृत हुए अनुपस्थित रहता है, तो यह अनुशासनहीनता मानी जाती है। ऐसी स्थिति में परिवीक्षा अवधि बढ़ाई जा सकती है।
- अत्यधिक आकस्मिक अवकाश (Excessive Casual Leave): “12,13 से अधिक”
- आकस्मिक अवकाश सीमित मात्रा में ही स्वीकृत होता है। अगर इसे बार-बार लिया जाए और नियमित अनुपस्थिति के रूप में उपयोग किया जाए, तो इसे नकारात्मक रूप में लिया जाता है।
- अनुग्रहित अवकाश (Extraordinary Leave – EOL):
- यह अवकाश विशेष परिस्थितियों में स्वीकृत होता है, लेकिन आमतौर पर यह बिना वेतन के होता है। यदि कर्मचारी अनुग्रहित अवकाश का अत्यधिक उपयोग करता है, तो यह परिवीक्षा अवधि में विस्तार का कारण बन सकता है।
- चिकित्सा अवकाश (Medical Leave): अकारण
- लंबी अवधि तक चिकित्सा अवकाश लेना, भले ही यह वैध हो, परिवीक्षा अवधि में कार्य प्रदर्शन के आकलन को बाधित करता है। ऐसी स्थिति में भी अवधि बढ़ाई जा सकती है।
- अन्य लंबी अवधि का अवकाश (Long-term Leave):
- यदि कर्मचारी अन्य प्रकार के लंबे अवकाश (जैसे मातृत्व अवकाश के अलावा) का उपयोग करता है, तो इसे कार्यकाल में बाधा के रूप में देखा जा सकता है और परिवीक्षा अवधि बढ़ाई जा सकती है।
अवकाश के प्रभाव:
- अल्पकालिक अनुपस्थिति:
अगर अनुपस्थिति अवधि कम है और इसे वैध कारणों के साथ लिया गया है, तो इसका प्रभाव नहीं पड़ता। - लंबी अनुपस्थिति:
यदि अनुपस्थिति का कुल समय 30 दिन से अधिक हो जाए, तो इसे विभाग द्वारा परिवीक्षा अवधि बढ़ाने का कारण माना जा सकता है।
निर्णय प्रक्रिया:
परिवीक्षा अवधि बढ़ाने का निर्णय आमतौर पर कर्मचारी के उच्चाधिकारी या विभाग प्रमुख द्वारा लिया जाता है।
स्रोत और नियम:
इन स्थितियों की पुष्टि और विस्तृत जानकारी के लिए आप मध्यप्रदेश सिविल सेवा (अवकाश) नियम, 1977 का अध्ययन कर सकते हैं। नियमों की व्याख्या और सटीक जानकारी के लिए संबंधित विभाग से संपर्क करना सबसे उपयुक्त
संतान पालन अवकाश (Child Care Leave – CCL) और पितृत्व अवकाश (Paternity Leave) के नियम परिवीक्षा अवधि के दौरान थोड़े अलग प्रावधानों के अंतर्गत आते हैं।
1. संतान पालन अवकाश (CCL):
- संतान पालन अवकाश का अधिकार महिला सरकारी कर्मचारियों को होता है, चाहे वह नियमित सेवा में हों या परिवीक्षा अवधि में।
- परिवीक्षा अवधि पर प्रभाव:
- यदि CCL 30 दिनों से कम की अवधि के लिए लिया गया है, तो यह परिवीक्षा अवधि पर कोई प्रभाव नहीं डालता।
- यदि CCL 30 दिनों से अधिक लिया जाता है, तो यह अवधि कार्यकाल से हटा दी जाती है और परिवीक्षा अवधि को बढ़ाया जा सकता है, क्योंकि इस दौरान कर्मचारी का मूल्यांकन नहीं हो पाता।
- CCL केवल दो बच्चों तक के पालन के लिए मान्य है और इसे उचित स्वीकृति के साथ लिया जाना चाहिए।
CCL (Child Care Leave) सरकारी कर्मचारी को बच्चों की देखभाल के लिए दी जाने वाली विशेष छुट्टी है। इसके तहत अधिकतम समय सीमा निम्नलिखित है:
- कुल समय सीमा:
- एक कर्मचारी को 2 साल (730 दिन) की CCL उसके पूरे सेवाकाल में मिल सकती है।
- एक बार में अवकाश:
- CCL एक बार में कम से कम 15 दिन के लिए ली जानी चाहिए।
- किसके लिए लागू:
- यह छुट्टी उन कर्मचारियों के लिए है, जिनके बच्चे 18 वर्ष से कम उम्र के हैं।
- विशेष रूप से विकलांग बच्चों के लिए उम्र सीमा की शर्त लागू नहीं होती।
- वेतन का प्रावधान:
- पहले 365 दिन के लिए कर्मचारी को पूर्ण वेतन दिया जाता है।
- शेष 365 दिन के लिए 80% वेतन दिया जाता है।
- उद्देश्य:
- बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य, और अन्य जरूरी देखभाल के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है।
2. पितृत्व अवकाश (Paternity Leave):
- पितृत्व अवकाश पुरुष सरकारी कर्मचारियों को उनके बच्चे के जन्म के समय दिया जाता है। यह अधिकतम 15 दिनों का होता है और बच्चे के जन्म के 6 महीने के भीतर लिया जाना चाहिए।
- परिवीक्षा अवधि पर प्रभाव:
- चूंकि पितृत्व अवकाश की अवधि केवल 15 दिनों की होती है, यह सामान्यत: परिवीक्षा अवधि पर असर नहीं डालता।
- हालांकि, यदि इसे आवश्यकता से अधिक बढ़ाया जाता है (अनधिकृत अनुपस्थिति या अन्य अवकाश जोड़कर), तो परिवीक्षा अवधि बढ़ाई जा सकती है।
3. क्यों परिवीक्षा अवधि बढ़ाई जाती है?
- मूल्यांकन का बाधित होना:
लंबे अवकाश के कारण कर्मचारी की कार्यक्षमता और अनुशासन का सही मूल्यांकन नहीं हो पाता। - सेवा में नियमितता का अभाव:
परिवीक्षा अवधि में कार्य के निरंतरता और सेवा शर्तों का पालन महत्वपूर्ण होता है। लंबे अवकाश इसे बाधित करते हैं।
4. सरकार का दृष्टिकोण:
- मानव संसाधन विभाग (DoPT) के दिशा-निर्देशों के अनुसार, संतान पालन अवकाश और पितृत्व अवकाश कर्मचारी का अधिकार है।
- परिवीक्षा अवधि में अवकाश स्वीकृत करने का निर्णय विभागीय प्रमुख के विवेकाधिकार पर निर्भर करता है।
निष्कर्ष:
- पितृत्व अवकाश के कारण आमतौर पर परिवीक्षा अवधि नहीं बढ़ती।
- संतान पालन अवकाश यदि लंबी अवधि (30 दिन से अधिक) के लिए लिया जाए, तो इससे परिवीक्षा अवधि बढ़ाई जा सकती है।
इन मामलों में संबंधित विभाग या कार्यालय प्रमुख से चर्चा करके स्पष्टता प्राप्त करना सबसे अच्छा होगा। मध्यप्रदेश सिविल सेवा (अवकाश) नियम, 1977 और DoPT गाइडलाइंस का संदर्भ लिया जा सकता है।
अधिक जानकारी के लिए यह विडियों देखे।
मध्यप्रदेश सिविल सेवा (अवकाश) नियम, 1977 PDF
संतान पालन अवकाश संशोधन-
समस्त अवकाश नियम-