सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: जो शिक्षक TET क्वालिफाई नहीं, दें इस्तीफा या रिटायर हों

भोपाल | 02 सितम्बर 2025
सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम आदेश में कहा है कि जिन प्राथमिक शिक्षकों की सेवा में 5 साल से कम समय बचा है, उन्हें टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) क्वालिफाई करने से छूट मिलेगी। लेकिन जिनकी सेवा में 5 साल से अधिक समय बचा है, उन्हें टीईटी क्वालिफाई करना अनिवार्य होगा। अन्यथा, ऐसे शिक्षकों को या तो इस्तीफा देना होगा या अनिवार्य सेवानिवृत्ति (रिटायरमेंट) दी जाएगी।


सुप्रीम कोर्ट का निर्देश

  • टीईटी क्वालिफिकेशन जरूरी: जिन शिक्षकों ने अभी तक टीईटी पास नहीं किया है, उन्हें परीक्षा पास करनी होगी।
  • 5 साल से अधिक सेवा शेष है तो नियम लागू: यदि शिक्षक की सेवा में 5 साल से अधिक समय बचा है, तो उन्हें टीईटी पास करना अनिवार्य है।
  • 5 साल से कम सेवा शेष वालों को छूट: ऐसे शिक्षक बिना टीईटी भी सेवा जारी रख सकते हैं।
  • पद खाली करने का आदेश: जो शिक्षक टीईटी पास नहीं करेंगे और सेवा में 5 साल से ज्यादा बचा है, उन्हें इस्तीफा देना होगा या रिटायरमेंट लेनी होगी।

एमपी में असर – करीब 3 लाख शिक्षक प्रभावित

  • यह फैसला मध्य प्रदेश के लगभग 3 लाख शिक्षकों को प्रभावित करेगा।
  • 1984 से 1990 तक भर्ती हुए कई शिक्षक इस श्रेणी में आते हैं।
  • 2018 में जब नियम लागू हुआ, तब भी कई शिक्षक टीईटी पास नहीं कर पाए थे।
  • अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरकार को स्पष्ट कार्रवाई करनी होगी।

मामला क्यों आया?

  • सुप्रीम कोर्ट में यह मामला इस बात को लेकर आया कि प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए योग्य शिक्षकों का होना जरूरी है।
  • आरटीई (Right to Education Act) के तहत यह शर्त पहले ही तय की गई थी कि टीईटी पास करना अनिवार्य है, लेकिन कई राज्यों ने इसका पालन नहीं किया था।

अल्पसंख्यक संस्थानों पर भी बड़ा असर

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अल्पसंख्यक संस्थान भी इस नियम से बाहर नहीं होंगे। उनके शिक्षकों को भी यह पात्रता शर्त पूरी करनी होगी।


चार अहम सवाल, जिन पर बड़ी बेंच विचार करेगी

  1. क्या 2014 के बाद भर्ती शिक्षकों पर यह नियम लागू होगा?
  2. क्या इससे पहले भर्ती शिक्षकों को छूट मिलेगी?
  3. क्या नियम संविधान के अनुच्छेद 30 (1) का उल्लंघन करता है?
  4. क्या 2014 के बाद शिक्षकों के प्रशिक्षण नियम वैध हैं?

कौन प्रभावित होंगे?

  1. प्राथमिक शिक्षक
    • जो कक्षा 1 से 8 तक पढ़ाते हैं।
    • विशेषकर 1984 से 1990 के बीच भर्ती हुए शिक्षक।
    • ऐसे सभी शिक्षक जिन्होंने अब तक टीईटी (Teacher Eligibility Test) पास नहीं किया है।
  2. जिनकी सेवा में 5 साल से अधिक समय बाकी है
    • ऐसे शिक्षक अगर टीईटी पास नहीं करते तो उन्हें इस्तीफा देना होगा या अनिवार्य सेवानिवृत्ति (रिटायरमेंट) लेनी होगी।
  3. अल्पसंख्यक संस्थानों के शिक्षक
    • पहले दावा किया जा रहा था कि ये छूट पाएंगे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन पर भी नियम लागू होगा।
  4. 2014 के बाद भर्ती हुए शिक्षक
    • इनके लिए नियम पहले से लागू थे, लेकिन जिन्होंने अभी तक टीईटी पास नहीं किया है, उन्हें भी अनिवार्य रूप से पास करना होगा।

कौन प्रभावित नहीं होंगे?

  • जिन शिक्षकों की सेवा में 5 साल से कम समय बचा है
    • इन्हें छूट दी जाएगी, क्योंकि उनके लिए अब परीक्षा देना व्यावहारिक नहीं है।
  • जिन्होंने पहले ही टीईटी क्वालिफाई कर लिया है

क्यों प्रभावित होंगे? (कारण)

  1. शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए
    • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि योग्य शिक्षक ही बच्चों को पढ़ाएं। टीईटी का उद्देश्य यही है।
  2. RTE (Right to Education Act) का पालन
    • 2010 में RTE लागू हुआ, जिसमें कहा गया था कि प्राथमिक शिक्षक के लिए टीईटी अनिवार्य है।
    • लेकिन कई राज्यों ने यह लागू नहीं किया या छूट दे दी।
  3. समानता और नियमों का पालन
    • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई भी संस्था (चाहे सरकारी हो या अल्पसंख्यक) इस नियम से बाहर नहीं होगी।

📌 मतलब: जिन शिक्षकों ने टीईटी पास नहीं किया है और उनकी सेवा लंबी बची है, उन्हें या तो टीईटी पास करना होगा या नौकरी छोड़नी होगी।


कानूनी स्थिति और प्रभाव

  • कोर्ट ने कहा कि टीईटी नियमों का पालन न होने से शिक्षा की गुणवत्ता पर असर पड़ा है।
  • राज्यों को निर्देश दिया गया है कि नियम का पालन अनिवार्य रूप से किया जाए
  • अब राज्यों के पास ऐसे शिक्षकों को टीईटी पास कराने या हटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

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