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“मध्यप्रदेश में OBC व EWS आरक्षण की पूरी जानकारी | सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला 2025”

प्रकाशित तिथि: 08 अप्रैल 2025
स्थान: भोपाल / नई दिल्ली

🔹 क्या है पूरा मामला?

मध्यप्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को 27% आरक्षण देने के फैसले के खिलाफ दायर याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि इस विषय में पहले ही अदालत में निर्णय हो चुका है और दोबारा इस पर सुनवाई की आवश्यकता नहीं है।

🔹 पृष्ठभूमि

राज्य सरकार ने ओबीसी वर्ग को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 27 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया था। यह फैसला 14 अगस्त 2021 को लिया गया था, जिसके तहत ओबीसी वर्ग को पहले दिए जा रहे 14% आरक्षण को बढ़ाकर 27% कर दिया गया था।

कुछ याचिकाकर्ताओं ने इस फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। उनका तर्क था कि यह फैसला असंवैधानिक है और इससे अन्य वर्गों को नुकसान हो सकता है।

🔹 सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि:

  • इस मामले में पहले ही निर्णय दिया जा चुका है।
  • वर्तमान याचिका में कोई नई और ठोस कानूनी आधार नहीं है।
  • इसलिए यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है और खारिज की जाती है।

🔹 राज्य सरकार का पक्ष

राज्य सरकार का कहना था कि ओबीसी वर्ग की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए आरक्षण बढ़ाना आवश्यक था। इससे समाज के पिछड़े वर्गों को शिक्षा और रोजगार में बेहतर अवसर मिल सकेंगे।

🔹 राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया

इस निर्णय के बाद राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी ने इसे सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। वहीं, कुछ विरोधी दलों ने इसे राजनीतिक लाभ के लिए उठाया गया कदम कहा है।

  • मध्यप्रदेश ओबीसी आरक्षण 2025
  • सुप्रीम कोर्ट ओबीसी आरक्षण निर्णय
  • MP OBC Reservation Supreme Court
  • ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत
  • सामाजिक न्याय और आरक्षण नीति
  • भारतीय संविधान और आरक्षण व्यवस्था

आइए हम मध्यप्रदेश में OBC आरक्षण के पूरे मामले को सरल और क्रमबद्ध तरीके से समझते हैं — ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से लेकर सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्णय तक।


🟨 OBC आरक्षण का मामला: मध्यप्रदेश में पूरी कहानी

🔹 1. क्या है OBC आरक्षण?

भारत में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े होने के कारण आरक्षण की सुविधा दी जाती है ताकि उन्हें शिक्षा और सरकारी नौकरियों में समान अवसर मिल सकें। केंद्र सरकार और राज्य सरकारें अलग-अलग प्रतिशत में आरक्षण प्रदान करती हैं।


🔹 2. मध्यप्रदेश में OBC आरक्षण का इतिहास

  • पहले मध्यप्रदेश में OBC वर्ग को 14% आरक्षण मिलता था।
  • 2019 में तत्कालीन राज्य सरकार ने इसे बढ़ाकर 27% कर दिया।
  • इसके बाद कई याचिकाएं अदालतों में दाखिल की गईं, जिनमें कहा गया कि यह फैसला संविधान की अधिकतम 50% आरक्षण सीमा का उल्लंघन करता है।

🔹 3. क्या है 50% की सीमा?

1992 में सुप्रीम कोर्ट ने (Indra Sawhney Case) में कहा था कि आरक्षण की अधिकतम सीमा 50% से अधिक नहीं होनी चाहिए, जब तक कि कोई विशेष असाधारण परिस्थिति न हो।


🔹 4. न्यायिक प्रक्रिया: मामला कोर्ट में गया

  • इस फैसले को कई याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
  • उनका तर्क था कि:
    • 27% OBC आरक्षण से कुल आरक्षण 63% हो जाता है (SC/ST + OBC), जो संविधान के खिलाफ है।
    • यह बिना उपयुक्त डेटा और सामाजिक सर्वे के किया गया है।

🔹 5. राज्य सरकार का पक्ष

  • मध्यप्रदेश सरकार ने कहा कि:
    • राज्य में OBC की जनसंख्या करीब 50% से अधिक है।
    • इसलिए उन्हें उचित प्रतिनिधित्व देना जरूरी है।
    • सरकार ने इसके लिए मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग से सर्वे और रिपोर्ट भी मांगी।

🔹 6. सुप्रीम कोर्ट का 2025 का निर्णय (08 अप्रैल 2025)

  • सुप्रीम कोर्ट ने OBC आरक्षण के खिलाफ याचिका को खारिज कर दिया।
  • कोर्ट ने कहा कि:
    • यह मामला पहले ही सुनवाई और निपटान के अधीन रहा है।
    • दोबारा सुनवाई की कोई ज़रूरत नहीं है क्योंकि कोई नया आधार नहीं प्रस्तुत किया गया।

🔹 7. वर्तमान स्थिति (2025 में)

✅ मध्यप्रदेश में OBC वर्ग को 27% आरक्षण मिल रहा है, और सुप्रीम कोर्ट ने इसे बरकरार रखा है।
✅ अब राज्य में कुल आरक्षण (SC + ST + OBC+EWS) 73% तक पहुँच गया है।


जी हाँ, आपने एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात उठाई है — EWS (Economically Weaker Sections) का 10% आरक्षण, जो मध्यप्रदेश सहित पूरे भारत में लागू है।

चलिए इसे भी संक्षेप में और स्पष्ट रूप से समझते हैं ताकि OBC आरक्षण + EWS आरक्षण + कुल आरक्षण की पूरी तस्वीर साफ हो जाए।


🟩 क्या है EWS आरक्षण?

🔹 अर्थ

EWS आरक्षण उन सामान्य वर्ग (General Category) के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को दिया जाता है, जो किसी भी SC, ST या OBC श्रेणी में नहीं आते, लेकिन उनकी आय और आर्थिक स्थिति कमजोर है।

🔹 कब शुरू हुआ?

  • 103वां संविधान संशोधन (साल 2019) द्वारा EWS आरक्षण को लागू किया गया।
  • यह 10% आरक्षण शिक्षा संस्थानों और सरकारी नौकरियों में लागू है।

🟨 EWS आरक्षण की पात्रता

EWS आरक्षण का लाभ उन्हीं सामान्य वर्ग के व्यक्तियों को मिलता है:

  • जिनकी वार्षिक पारिवारिक आय ₹8 लाख से कम हो।
  • जिनके पास 5 एकड़ से कम कृषि भूमि हो।
  • जो किसी प्रकार की SC/ST/OBC आरक्षण श्रेणी में न आते हों।

🟦 मध्यप्रदेश में कुल आरक्षण का गणित (2025 में)

आरक्षण श्रेणीप्रतिशत
SC (अनुसूचित जाति)16%
ST (अनुसूचित जनजाति)20%
OBC (अन्य पिछड़ा वर्ग)27%
EWS (सामान्य वर्ग आर्थिक कमजोर)10%
कुल आरक्षण73%

यानी अब मध्यप्रदेश में कुल आरक्षण 73% तक पहुँच चुका है।


❓क्या ये संविधान के 50% सीमा से अधिक नहीं?

जी हाँ, सामान्यतः सुप्रीम कोर्ट ने 1992 (इंद्रा साहनी केस) में 50% की सीमा तय की थी, लेकिन अब:

  • EWS आरक्षण के लिए संविधान में संशोधन किया गया है, जिससे इसे 50% सीमा से अलग रखा गया है।
  • कई राज्यों (जैसे: तमिलनाडु, राजस्थान, महाराष्ट्र, MP) में कुल आरक्षण 70% से ज्यादा हो चुका है।

🔍 निष्कर्ष:

  • OBC का 27%, SC/ST का 36%, और EWS का 10% – कुल मिलाकर आरक्षण अब 73% तक पहुँच चुका है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने EWS आरक्षण को संवैधानिक मान्यता दे दी है (2022 में)।
  • अब राज्यों को यह देखने की ज़रूरत है कि ये व्यवस्था संतुलित और समावेशी रहे।

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