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मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन मंडल (MP ESB) ने बदला नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूला।

MP esb New normalization Formula?

मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन मंडल (MP ESB) द्वारा आयोजित परीक्षाओं के परिणामों में नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया के तहत बड़ा बदलाव किया गया है। इससे पहले, परीक्षाओं के विभिन्न शिफ्टों में कठिनाई स्तर अलग-अलग होने के कारण उम्मीदवारों के अंकों में असमानता देखी जाती थी। इस समस्या को हल करने के लिए MP ESB ने “Equi-Percentile Normalization” पद्धति को अपनाने का निर्णय लिया है। आइए विस्तार से समझते हैं कि यह बदलाव कैसे प्रभाव डालेगा।


नॉर्मलाइजेशन का क्या अर्थ है?

जब कोई परीक्षा अलग-अलग शिफ्टों (shifts) में आयोजित होती है, तो हो सकता है कि किसी शिफ्ट का पेपर कठिन हो और किसी शिफ्ट का आसान। इस कारण एक ही परीक्षा में शामिल सभी उम्मीदवारों के अंकों की तुलना करना मुश्किल हो जाता है। नॉर्मलाइजेशन एक ऐसा तरीका है, जिससे सभी शिफ्टों के कठिनाई स्तर को संतुलित किया जाता है, ताकि सभी उम्मीदवारों के अंकों की तुलना निष्पक्ष तरीके से हो सके।


पुराने नॉर्मलाइजेशन सिस्टम की समस्या

पिछले नॉर्मलाइजेशन सिस्टम में कुछ खामियां थीं, जिसके कारण कुछ उम्मीदवारों के अंक 100 में से 101.66 तक पहुंच गए थे। यह पूरी प्रक्रिया को अविश्वसनीय बना रहा था। खासकर जेल प्रहरी परीक्षा में ऐसे नतीजे देखने को मिले, जिसके बाद विवाद खड़ा हो गया। इसी कारण MP ESB को अपने नॉर्मलाइजेशन सिस्टम में बदलाव करना पड़ा


अब नया बदलाव क्या है?

MP ESB ने अब नॉर्मलाइजेशन के लिए “Normalized Equi-Percentile (NEP) Scaling” तकनीक अपनाने का फैसला किया है। इस नई प्रणाली के तहत:

1️⃣ हर शिफ्ट के उम्मीदवारों के वास्तविक अंकों को “Percentile Score” में बदला जाएगा।

2️⃣ अगर आपकी शिफ्ट का पेपर कठिन था, तो नॉर्मलाइजेशन से आपको फायदा मिलेगा।

3️⃣ अगर आपकी शिफ्ट का पेपर आसान था, तो आपका स्कोर उसी हिसाब से एडजस्ट होगा।

4️⃣ अब किसी भी उम्मीदवार का स्कोर 100 से अधिक नहीं होगा।

5️⃣ यदि परीक्षा दो चरणों (लिखित + फिजिकल/साक्षात्कार) में होती है, तो पहले चरण के अंकों को Standard Normal Distribution से Z-Value में बदला जाएगा।


पहले और अब में क्या अंतर आया है?

🔴 पहले क्या होता था?

  • पहले सभी शिफ्टों को एक साथ नॉर्मलाइज किया जाता था
  • इससे हर शिफ्ट की कठिनाई अलग होने के बावजूद सभी को एक जैसे अंक दिए जाते थे
  • नतीजा: कभी-कभी कुछ उम्मीदवारों को 100 से ज्यादा अंक मिल जाते थे, जो गलत था।

अब क्या बदला है?

  • अब हर शिफ्ट का अलग-अलग नॉर्मलाइजेशन किया जाएगा
  • नई Equi-Percentile Method के तहत हर शिफ्ट के उम्मीदवारों के अंकों को Percentile Score में बदला जाएगा
  • इससे अगर किसी शिफ्ट का पेपर कठिन था, तो उम्मीदवारों को संतुलित अंक मिलेंगे
  • अब कोई भी उम्मीदवार 100 से अधिक अंक नहीं पा सकेगा
  • अगर परीक्षा दो चरणों में होती है (लिखित + फिजिकल/इंटरव्यू), तो पहले चरण को Standard Normal Distribution से एडजस्ट किया जाएगा

मुख्य बदलाव:

📌 पहले: सभी शिफ्टों को एक साथ नॉर्मलाइज किया जाता था।
📌 अब: हर शिफ्ट का अलग-अलग नॉर्मलाइजेशन होगा, जिससे परीक्षा ज्यादा निष्पक्ष होगी।

💡 इस बदलाव से उम्मीदवारों को नुकसान या फायदा नहीं होगा, बल्कि निष्पक्ष परिणाम मिलेगा।

Multi-Stage परीक्षाओं के लिए नया तरीका

कुछ परीक्षाएं केवल एक चरण में होती हैं, जबकि कुछ दो चरणों (Multi-Stage) में आयोजित की जाती हैं, जैसे कि पुलिस भर्ती परीक्षा। ऐसे मामलों में:

✅ पहले चरण के प्रतिशत स्कोर (Percentile Score) को Z-Value में बदला जाएगा।
✅ फिर दूसरे चरण (Physical Test / Interview) के अंकों को इस Z-Value के साथ मिलाया जाएगा।
✅ इससे पहले चरण में कठिनाई स्तर के कारण किसी भी उम्मीदवार को अनुचित लाभ या नुकसान नहीं होगा।


इस बदलाव से उम्मीदवारों को क्या लाभ होगा?

🔹 अब शिफ्ट के कठिनाई स्तर का असर स्कोर पर नहीं पड़ेगा।
🔹 हर उम्मीदवार के लिए समान अवसर सुनिश्चित होगा।
🔹 कोई भी उम्मीदवार 100 से अधिक अंक प्राप्त नहीं कर सकेगा।
🔹 परीक्षा परिणाम अधिक विश्वसनीय और निष्पक्ष होंगे।


उदाहरण के साथ समझें: नया नॉर्मलाइजेशन कैसे काम करेगा?

मान लीजिए कि MP ESB परीक्षा तीन शिफ्टों में आयोजित होती है और हर शिफ्ट की कठिनाई अलग-अलग है।

📌 पहले क्या होता था? (पुरानी प्रक्रिया)

पहले सभी शिफ्टों के अंकों को एक साथ नॉर्मलाइज किया जाता था।

  • शिफ्ट 1 (आसान पेपर): अधिकतर उम्मीदवारों को 80-90 अंक मिले।
  • शिफ्ट 2 (मध्यम स्तर का पेपर): अधिकतर उम्मीदवारों को 70-80 अंक मिले।
  • शिफ्ट 3 (कठिन पेपर): अधिकतर उम्मीदवारों को 60-70 अंक मिले।

अब क्योंकि शिफ्ट 1 का पेपर आसान था, इसके उम्मीदवारों को बिना किसी एडजस्टमेंट के ज्यादा अंक मिल जाते थे, जबकि शिफ्ट 3 के उम्मीदवारों को नुकसान हो जाता था।

✅ अब क्या बदला है? (नई प्रक्रिया – Equi-Percentile Normalization)

अब हर शिफ्ट के अंकों को अलग-अलग Percentile Score में बदला जाएगा

1️⃣ शिफ्ट 1:

  • अगर किसी उम्मीदवार के 85 अंक हैं, तो यह 90th percentile पर आ सकता है।
    2️⃣ शिफ्ट 2:
  • अगर किसी उम्मीदवार के 75 अंक हैं, तो यह भी 90th percentile पर आ सकता है।
    3️⃣ शिफ्ट 3:
  • अगर किसी उम्मीदवार के 65 अंक हैं, तो यह भी 90th percentile पर आ सकता है।

📌 नतीजा:
अब इन सभी उम्मीदवारों को समान रूप से स्केल किया जाएगा और नॉर्मलाइजेशन के बाद इनका स्कोर बराबर हो जाएगा। इससे पेपर के कठिनाई स्तर का असर खत्म हो जाएगा और सभी के साथ न्याय होगा।

🔹 पहले जहां शिफ्ट 3 के उम्मीदवार को नुकसान होता था, अब उसे उचित अंक मिलेंगे।
🔹 अब 100 से अधिक अंक नहीं होंगे, क्योंकि हर शिफ्ट अलग-अलग स्केल होगी।

💡 इससे परीक्षा निष्पक्ष होगी और सभी उम्मीदवारों को समान अवसर मिलेगा।

Equi-Percentile Normalization फॉर्मूला के साथ समझाया गया उदाहरण

अब हम इसे सूत्र (Formula) और उदाहरण के माध्यम से समझते हैं।

📌 Step 1: Percentile Score निकालना

MP ESB ने जो नया फॉर्मूला अपनाया है, वह Equi-Percentile Normalization पर आधारित है। इसका मुख्य सूत्र यह है:Pij=No. of candidates in shift (j) having proportionate scores ≤XijNj×100P_{ij} = \frac{\text{No. of candidates in shift (j) having proportionate scores } \leq X_{ij}}{N_j} \times 100Pij​=Nj​No. of candidates in shift (j) having proportionate scores ≤Xij​​×100

फॉर्मूले में क्या दर्शाया गया है?

  • PijP_{ij}Pij​ = उम्मीदवार iii का Percentile Score (शिफ्ट jjj में)।
  • XijX_{ij}Xij​ = उम्मीदवार iii द्वारा शिफ्ट jjj में प्राप्त वास्तविक अंक
  • NjN_jNj​ = शिफ्ट jjj में उपस्थित कुल उम्मीदवारों की संख्या।
  • फॉर्मूला क्या करता है?
    • यह दिखाता है कि कितने प्रतिशत उम्मीदवारों ने किसी उम्मीदवार से कम या बराबर स्कोर प्राप्त किया है।

📌 Step 2: उदाहरण से समझें

अब मान लीजिए कि तीन शिफ्टों में परीक्षा आयोजित हुई थी, और तीन उम्मीदवारों ने अलग-अलग शिफ्टों में परीक्षा दी:

उम्मीदवारशिफ्टप्राप्त अंक (XijX_{ij}Xij​)कुल उम्मीदवार (NjN_jNj​)कम या बराबर अंक पाने वाले उम्मीदवारPercentile Score (PijP_{ij}Pij​)
A1852000180018002000×100=90\frac{1800}{2000} \times 100 = 9020001800​×100=90
B2752500225022502500×100=90\frac{2250}{2500} \times 100 = 9025002250​×100=90
C3653000270027003000×100=90\frac{2700}{3000} \times 100 = 9030002700​×100=90

💡 नतीजा:

  • उम्मीदवार A ने 85 अंक लिए, लेकिन शिफ्ट 1 का पेपर आसान था।
  • उम्मीदवार B ने 75 अंक लिए, लेकिन उसकी शिफ्ट का पेपर कठिन था।
  • उम्मीदवार C ने 65 अंक लिए, लेकिन उसकी शिफ्ट का पेपर सबसे कठिन था।

👉 Equi-Percentile Normalization के कारण, तीनों उम्मीदवारों का Percentile Score 90 आया।


📌 Step 3: Standard Normal Distribution में बदलना (अगर परीक्षा Multi-Stage हो)

अगर परीक्षा दो चरणों में होती है (जैसे लिखित + फिजिकल टेस्ट), तो Percentile Score को Z-Value में बदला जाएगा। इसके लिए यह फॉर्मूला इस्तेमाल होगा:Z=P−μσZ = \frac{P – \mu}{\sigma}Z=σP−μ​

जहां:

  • ZZZ = Standard Normal Score (Z-Value)
  • PPP = प्राप्त Percentile Score
  • μ\muμ = पूरे डेटा का औसत Percentile Score
  • σ\sigmaσ = Standard Deviation

🔹 इसका मतलब यह है कि पहले चरण के अंक और दूसरे चरण (Physical Test / Interview) के अंक अलग-अलग नहीं जोड़े जाएंगे, बल्कि पहले चरण को Z-Score में बदला जाएगा, ताकि कठिनाई स्तर संतुलित हो सके।


🚀 मुख्य बदलाव: अब क्या अलग है?

1️⃣ पहले: सभी शिफ्टों को एक साथ नॉर्मलाइज किया जाता था, जिससे असमानता थी।
2️⃣ अब: हर शिफ्ट का अलग-अलग Percentile Score निकाला जाएगा और फिर उसे Standard Normal Distribution से संतुलित किया जाएगा।
3️⃣ पहले: कुछ उम्मीदवारों को 100 से अधिक अंक मिलते थे।
4️⃣ अब: कोई भी उम्मीदवार 100 से अधिक अंक प्राप्त नहीं कर सकता


निष्कर्ष

MP ESB द्वारा लागू किया गया Equi-Percentile Normalization उम्मीदवारों के लिए एक निष्पक्ष और पारदर्शी मूल्यांकन प्रणाली सुनिश्चित करेगा। अब कठिन या आसान शिफ्ट का प्रभाव किसी भी उम्मीदवार के रिजल्ट पर नहीं पड़ेगा। इससे सभी उम्मीदवारों को समान अवसर मिलेगा और परीक्षा परिणाम अधिक विश्वसनीय होंगे।

क्या आपको यह बदलाव उचित लगता है? अपने विचार कमेंट में बताएं! 🚀

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