कैबिनेट बैठक- मध्यप्रदेश सिविल सेवा (अवकाश) नियम 2025: मातृत्व, पितृत्व और अभिभावक अवकाश में बड़ा बदलाव

भोपाल।
राज्य सरकार ने कर्मचारियों के लिए बड़ा फैसला लिया है। अब सरोगेसी से मां बनने वाली महिला कर्मचारियों को भी प्रसूति अवकाश (Maternity Leave) मिलेगा। वहीं, यदि कोई सिंगल पिता बच्चा गोद लेते हैं, तो उन्हें भी चाइल्ड केयर लीव (Child Care Leave) का लाभ मिलेगा।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में मध्यप्रदेश सिविल सेवा (अवकाश) नियम 2025 को लागू करने का निर्णय लिया गया। इस नियम से राज्य के सभी शासकीय सेवकों को राहत और नई सुविधाएं मिलेंगी।


✨ मध्यप्रदेश सिविल सेवा (अवकाश) नियम 2025 का अनुमोदन ✨

मध्यप्रदेश सरकार ने कर्मचारियों के लिए ऐतिहासिक फैसला लिया है। मंत्रिपरिषद ने मध्यप्रदेश सिविल सेवा (अवकाश) नियम 2025 को मंजूरी प्रदान कर दी है। अब तक लागू मध्यप्रदेश सिविल सेवा (अवकाश) नियम 1977 की जगह यह नया नियम लागू होगा, जिसमें समय और परिस्थितियों के अनुसार बड़े बदलाव किए गए हैं।


📌 क्यों ज़रूरी था नया अवकाश नियम?

1977 के नियम अब वर्तमान परिस्थितियों के अनुरूप नहीं रहे थे। बदलते सामाजिक परिवेश, महिला कर्मचारियों की संख्या में वृद्धि और आधुनिक कार्यस्थल की आवश्यकताओं को देखते हुए सरकार ने नए नियम तैयार किए हैं।


📌 नए नियमों की मुख्य बातें

1. महिला कर्मचारियों के लिए विशेष प्रावधान

  • अब सरोगेट (Surrogate) एवं नर्सिंग माताओं को भी प्रसूति अवकाश (Maternity Leave) की पात्रता मिलेगी।
  • इससे पहले यह सुविधा केवल प्राकृतिक गर्भधारण वाली महिलाओं तक सीमित थी।

2. पितृत्व अवकाश (Paternity Leave)

  • शासकीय सेवक को अब 15 दिन का पितृत्व अवकाश मिलेगा।
  • दत्तक संतान (Adoption) ग्रहण करने पर भी यह अवकाश मिलेगा।

3. अभिभावक अवकाश (Parental Leave)

  • अब एकल पुरुष शासकीय सेवक (Single Father) भी अभिभावक अवकाश के पात्र होंगे।
  • इससे उन पुरुष कर्मचारियों को राहत मिलेगी जो बच्चे की देखभाल अकेले कर रहे हैं। (Child Care leave)

4. अर्जित अवकाश (Earned Leave – EL)

  • पहले अर्जित अवकाश की अधिकतम सीमा 120 दिन थी, जिसे बढ़ाकर अब 180 दिन कर दिया गया है।
  • कर्मचारी यदि गंभीर बीमारी से ग्रस्त है, तो अवकाश को 365 दिन तक बढ़ाने की विशेष अनुमति दी जाएगी।

5. अवैतनिक अवकाश (Half Pay Leave)

  • अवैतनिक अवकाश अब जनवरी और जुलाई में 10-10 दिन एकमुश्त प्रदान किया जाएगा।
  • इससे कर्मचारी अपनी सुविधा अनुसार इनका उपयोग कर सकेंगे।

6. विशेष अवकाश

  • प्रत्येक शासकीय सेवक को एक वर्ष में 10 दिन का विशेष अवकाश दिया जाएगा। (अर्जित अवकाश)
  • यह छुट्टी परिवार और व्यक्तिगत कार्यों के लिए ली जा सकेगी।

📌 आवेदन की प्रक्रिया

  • कर्मचारी अपने विभाग प्रमुख को आवेदन प्रस्तुत कर सकेंगे। (संबंधित अधितकारी अपने अधिनस्त कर्मचारियों को भी यह कार्य दे सकेंगे)
  • निर्धारित शर्तों और नियमों का पालन अनिवार्य होगा।
  • छुट्टियों की स्वीकृति का अधिकार संबंधित विभागाध्यक्ष को दिया गया है।

📌 व्यापक असर

  • इन बदलावों से राज्य के महिला कर्मचारियों, सिंगल पेरेंट्स और पारिवारिक जिम्मेदारियों वाले कर्मचारियों को सीधा लाभ मिलेगा।
  • इससे कार्यकुशलता बढ़ेगी और कर्मचारी अधिक संतुष्टि के साथ अपनी सेवाएँ दे पाएंगे।
  • नया नियम लागू होने से राज्य को अतिरिक्त वित्तीय बोझ उठाना पड़ेगा, लेकिन इससे कर्मचारियों का मनोबल और उत्पादकता बढ़ेगी।

शिक्षकों को मिलेगा अतिरिक्त अवकाश

राज्य सरकार ने शिक्षकों को उनके शिक्षण कार्य के अलावा भी 10 दिन का अतिरिक्त अवकाश देने का प्रावधान किया है।

  • सरोगेसी से मां बनने पर लाभ – अब सरोगेट मां को उतना ही मैटरनिटी लीव मिलेगा, जितना सामान्य प्रसूति पर मिलता है।
  • गोद लेने पर लाभ – बच्चा गोद लेने पर माता के साथ-साथ सिंगल पिता को भी चाइल्ड केयर लीव दी जाएगी।
  • अर्जित अवकाश (Earned Leave) – अधिकतम सीमा 120 दिन से बढ़ाकर अब 180 दिन कर दी गई है।
  • चाइल्ड केयर लीव (CCL) – महिला कर्मचारियों को अब तक यह सुविधा थी, अब इसमें विस्तार किया गया है।
  • विशेष अवकाश – 10 दिन तक का अतिरिक्त विशेष अवकाश भी शिक्षकों को मिलेगा, जो अन्य कार्यों के लिए उपयोग किया जा सकेगा।

“सरोगेट मां” (Surrogate Mother) वह महिला होती है जो किसी अन्य व्यक्ति या जोड़े के लिए बच्चा अपने गर्भ में धारण करती है और जन्म देती है। सीधे शब्दों में कहें, वह “प्रतिनियुक्त माता” या “कोखदायी माँ” कहलाती है।

📌 अर्जित अवकाश क्या है?

अर्जित अवकाश (Earned Leave) वह अवकाश होता है जो कर्मचारी अपनी सेवा अवधि (काम करने के दिनों) के आधार पर “कमा” लेता है।
यानी आप जितने दिन काम करते हैं, उसके हिसाब से आपके खाते में धीरे-धीरे अर्जित अवकाश जुड़ते जाते हैं।

इसे आप अपनी आवश्यकता के अनुसार लंबे समय के लिए छुट्टी लेने में उपयोग कर सकते हैं।


📌 अर्जित अवकाश कब और कैसे काम आता है?

अर्जित अवकाश का उपयोग मुख्य रूप से इन परिस्थितियों में किया जाता है:

  1. लंबी छुट्टी के लिए
    • जब कर्मचारी को किसी व्यक्तिगत काम, यात्रा, पारिवारिक जिम्मेदारी, स्वास्थ्य या अन्य कारण से लंबे समय की छुट्टी चाहिए।
    • जैसे 10–15 दिन लगातार छुट्टी।
  2. त्यौहार या विवाह जैसे अवसरों पर
    • जब घर में शादी, धार्मिक आयोजन या कोई विशेष कार्यक्रम हो।
  3. आराम और स्वास्थ्य सुधार के लिए
    • जब लंबे समय तक कार्य करने के बाद मानसिक/शारीरिक विश्राम की आवश्यकता हो।
  4. विदेश यात्रा / लंबी यात्रा
    • जब कर्मचारी को लंबी छुट्टी लेकर कहीं बाहर जाना हो।

📌 अर्जित अवकाश की मुख्य विशेषताएँ

  • सेवा अवधि पर आधारित : हर साल कुछ निश्चित संख्या में अर्जित अवकाश मिलते हैं।
  • जमा किए जा सकते हैं : यदि आप अर्जित अवकाश नहीं लेते, तो यह आगे अगले साल में जुड़ जाते हैं।
  • सीमा (Limit) :
    • अधिकतम कितने दिन आप अपने खाते में रख सकते हैं, यह विभागीय नियमों पर निर्भर करता है (जैसे 240 दिन तक)।
  • कैश (नकद) में बदल सकते हैं :
    • सेवानिवृत्ति (Retirement) या नौकरी छोड़ते समय बचे हुए अर्जित अवकाश का कैश भुगतान (Leave Encashment) भी मिलता है।

📌 अर्जित अवकाश कब लिया जाता है?

  • व्यक्तिगत कामों के लिए (जैसे मकान बनवाना, शादी आदि)।
  • पारिवारिक/धार्मिक कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए।
  • स्वास्थ्य कारणों से लंबी छुट्टी चाहिए पर मेडिकल लीव नहीं लेना चाहते।
  • बच्चों की परीक्षा, शिक्षा या शादी जैसे अवसरों पर।

संक्षेप में:
अर्जित अवकाश कर्मचारी की “कमाई हुई छुट्टी” है, जिसे वह लंबी छुट्टी, पारिवारिक काम, या सेवानिवृत्ति के समय कैश लाभ के लिए उपयोग कर सकता है।


एसटी छात्रों को बड़ी राहत

कैबिनेट बैठक में एक और अहम फैसला लिया गया। अब अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग के छात्रों को 12 महीने की छात्रवृत्ति मिलेगी।

  • पहले यह छात्रवृत्ति सिर्फ 10 महीने तक दी जाती थी।
  • प्रदेश के 1.65 लाख से अधिक छात्रों को इस फैसले से सीधा लाभ होगा।
  • यह छात्रवृत्ति 12वीं तक की कक्षाओं में अध्ययनरत छात्रों को दी जाएगी।

अन्य फैसले

बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि राज्य में 5 नए आयुष्मान मेडिकल कॉलेज स्थापित किए जाएंगे। इन पर कुल 1570 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।

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