
1. फाइनेंस: ब्याज दरें घटेंगी और कार्ड से Withdrawal हो सेकागा EPF
- ब्याज दरों में कमी: 2025 में महंगाई दर 4-4.5% तक रहने की संभावना है, जिसके चलते ब्याज दरों में 0.75% तक की कमी की जा सकती है। इससे होम लोन और अन्य वित्तीय साधनों की दरें सस्ती होंगी।
- ई-पीएफ विड्रॉल की सुविधा: कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) से सीधे कार्ड के माध्यम से राशि निकालने की सुविधा शुरू होगी। यह प्रक्रिया को सरल और तेज बनाएगी। 50% धन कार्ड से निकाल सकते है।
EPF का पूरा नाम Employees’ Provident Fund (कर्मचारी भविष्य निधि) है। यह भारत सरकार द्वारा संचालित एक सामाजिक सुरक्षा योजना है, जिसका उद्देश्य कर्मचारियों को उनके भविष्य के लिए वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है।
EPF के मुख्य बिंदु:
- संगठन:
EPF का प्रबंधन Employees’ Provident Fund Organisation (EPFO) द्वारा किया जाता है। यह श्रम और रोजगार मंत्रालय के तहत आता है। - योगदान:
- हर महीने कर्मचारी की सैलरी से एक निश्चित प्रतिशत (आमतौर पर 12%) EPF खाते में जमा किया जाता है।
- नियोक्ता भी उतनी ही राशि योगदान करता है।
- ब्याज:
EPF पर सरकार हर साल ब्याज दर निर्धारित करती है। यह राशि समय के साथ बढ़ती रहती है। - लाभ:
- रिटायरमेंट: रिटायरमेंट के बाद EPF की राशि कर्मचारी को एकमुश्त दी जाती है।
- आपात स्थिति: शिक्षा, शादी, या चिकित्सा जैसे कारणों के लिए EPF से आंशिक निकासी की जा सकती है।
- बीमा और पेंशन: EPF खाते के साथ बीमा और पेंशन का भी लाभ मिलता है।
- खाता:
प्रत्येक कर्मचारी को एक यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) दिया जाता है, जिससे वह अपने EPF खाते को ऑनलाइन मैनेज कर सकता है।
EPF का महत्व:
- यह एक बचत योजना है जो कर्मचारी को भविष्य में आर्थिक सुरक्षा देती है।
- यह रिटायरमेंट के बाद एक स्थिर आय का साधन बनती है।
- कर्मचारियों को निवेश करने और बचत करने की आदत डालती है।
- टॉप 500 कंपनियों में ट्रेडिंग: नए नियम के तहत टॉप 500 कंपनियों में ट्रेडिंग के लिए T+0 सेटलमेंट प्रक्रिया लागू होगी, जिससे निवेशकों को तत्काल लाभ मिलेगा। जिस दिन शेयर बैचेंगे उसी दिन पैसा मिल पाएगा।
T+0 सेटलमेंट का अर्थ है कि किसी ट्रेड (शेयर, स्टॉक्स या सिक्योरिटीज) का सेटलमेंट उसी दिन (ट्रेडिंग डे पर ही) पूरा हो जाता है। यहाँ T का मतलब “Trade Day” होता है, और 0 इंगित करता है कि सेटलमेंट उसी दिन किया जाएगा।
T+0 सेटलमेंट के मुख्य बिंदु:
- क्या होता है सेटलमेंट?
- सेटलमेंट प्रक्रिया वह है जिसमें खरीदार को शेयर और विक्रेता को भुगतान ट्रांसफर किया जाता है।
- आमतौर पर ट्रेडिंग के बाद सेटलमेंट के लिए कुछ दिन लगते हैं। उदाहरण के लिए, T+2 सिस्टम में सेटलमेंट ट्रेड के 2 कार्यदिवस बाद होता है।
- T+0 का अर्थ:
- T+0 में ट्रेडिंग और सेटलमेंट दोनों एक ही दिन में पूरे हो जाते हैं।
- खरीदार को उसी दिन शेयर मिलते हैं और विक्रेता को उसी दिन भुगतान।
- T+0 सेटलमेंट के लाभ:
- तेजी से ट्रांजैक्शन: निवेशकों को तुरंत शेयर या पैसा मिल जाता है।
- जोखिम में कमी: चूंकि सेटलमेंट तुरंत होता है, बाजार की उतार-चढ़ाव का जोखिम कम हो जाता है।
- फंड्स की बेहतर उपयोगिता: निवेशक तेजी से अपने पैसे का उपयोग या पुनर्निवेश कर सकते हैं।
- T+0 और मौजूदा व्यवस्था:
- फिलहाल भारतीय बाजार में T+1 या T+2 सेटलमेंट प्रणाली प्रचलित है।
- T+0 सेटलमेंट लागू होने पर निवेशकों को अधिक तेजी से सेवा मिलेगी।
- चुनौतियाँ:
- बड़े पैमाने पर तकनीकी अपग्रेडेशन की आवश्यकता होगी।
- ट्रेडिंग के उच्च वॉल्यूम को संभालने के लिए कुशल सिस्टम की जरूरत होगी।
- हर प्रतिभागी (ब्रोकर, क्लियरिंग हाउस, बैंक) को रियल-टाइम में काम करना होगा।
2. एजुकेशन: एक साथ कई डिग्रियां और बोर्ड परीक्षा के विकल्प
- एक साथ डिग्री: नई शिक्षा नीति के तहत छात्र अब एक साथ दो डिग्री हासिल कर सकेंगे, जिससे उनकी करियर की संभावनाएं बढ़ेंगी। विश्वविद्यालयों या कॉलेजो में साल में 2 बार दाखिले होंगे। जैसे- एक साथ दो युजी या पीजी में दाखिला ले पाएंगे।
- बोर्ड परीक्षा के विकल्प: 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा साल में दो बार आयोजित होगी। इससे छात्रों को बेहतर प्रदर्शन का अवसर मिलेगा।
- फ्लेक्सिबल स्कूलिंग: कक्षा 12 के छात्रों को फ्लेक्सिबल विषय चुनने की आजादी मिलेगी, साथ ही 9वी से 12वी तक की कितावों की कीमतों में 20% तक की कमी की जाएगी।
कक्षा 12 के छात्रों को फ्लेक्सिबल विषय चुनने की आजादी का मतलब है कि छात्रों को अपनी पढ़ाई में उन विषयों को चुनने का विकल्प दिया जाएगा जो उनके रुचि और करियर की योजनाओं के लिए उपयुक्त हैं। इसका उद्देश्य छात्रों को उनकी शिक्षा में अधिक स्वतंत्रता और लचीलापन प्रदान करना है।
इसका क्या मतलब है?
- विभिन्न स्ट्रीम्स (Science, Commerce, Arts) के बीच चयन की आजादी:
पारंपरिक व्यवस्था में छात्र को किसी एक स्ट्रीम (जैसे साइंस, कॉमर्स या आर्ट्स) में बंधे रहना पड़ता था। फ्लेक्सिबल व्यवस्था में छात्र विभिन्न स्ट्रीम्स के विषयों को मिलाकर पढ़ सकते हैं।- उदाहरण: कोई छात्र फिजिक्स (साइंस) और अकाउंटेंसी (कॉमर्स) को एक साथ चुन सकता है।
- रुचि आधारित विषय चयन:
- छात्रों को ऐसे विषय चुनने की अनुमति होगी जो उनके करियर की दिशा में सहायक हों।
- उदाहरण: जो छात्र संगीत में रुचि रखते हैं, वे गणित के साथ संगीत चुन सकते हैं।
- स्किल और प्रैक्टिकल विषयों को प्राथमिकता:
- छात्रों को स्किल आधारित विषय (जैसे कंप्यूटर प्रोग्रामिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ग्राफिक डिजाइनिंग आदि) चुनने का विकल्प मिलेगा।
- इससे वे पारंपरिक विषयों के अलावा नए कौशल भी सीख सकेंगे।
- फोकस्ड करियर प्लानिंग:
- यदि किसी छात्र का सपना इंजीनियर बनना है, तो वह फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ्स पर ध्यान केंद्रित कर सकता है।
- अगर किसी का झुकाव कला या साहित्य की ओर है, तो वह इतिहास, पॉलिटिकल साइंस, और भाषाओं पर फोकस कर सकता है।
- हाइब्रिड लर्निंग:
- छात्र स्कूल और ऑनलाइन माध्यमों से विषयों का चयन कर सकते हैं।
- यह उन्हें समय और संसाधनों का बेहतर उपयोग करने की सुविधा देगा।
फायदे:
- छात्र अपनी रुचियों और क्षमताओं के अनुसार पढ़ाई कर सकते हैं।
- यह भविष्य में उनकी करियर योजना को बेहतर बनाएगा।
- शिक्षा के प्रति रुचि बढ़ेगी और दबाव कम होगा।
- हर छात्र को एक विशेष प्रकार की शिक्षा प्रणाली में फिट होने की आवश्यकता नहीं होगी।
3. हेल्थ: कैंसर वैक्सीन और डायबिटीज की नई दवा
- कैंसर वैक्सीन: 2025 में कैंसर की वैक्सीन लॉन्च होगी, जिसका सफल परीक्षण 100% प्रभावी रहा है।
कैंसर वैक्सीन क्या है?
हाल ही में रूस ने कैंसर के खिलाफ एक mRNA वैक्सीन विकसित की है। क्लिनिकल ट्रायल्स के बाद, यह पाया गया कि यह वैक्सीन कैंसर के ट्यूमर के विकास को रोकने में मदद करती है। रूस ने घोषणा की है कि वह इस वैक्सीन को मुफ्त में वितरित करने की योजना बना रहा है।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस वैक्सीन की सफलता पर खुशी व्यक्त की है और इसे कैंसर के खिलाफ महत्वपूर्ण कदम बताया है।
यह वैक्सीन कैंसर के इलाज में एक महत्वपूर्ण प्रगति मानी जा रही है, और इसके वितरण से कैंसर के उपचार में नई उम्मीदें जगी हैं।
कैंसर वैक्सीन एक बायोलॉजिकल प्रोडक्ट है, जो:
- शरीर को कैंसर के खतरे से बचाने के लिए प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत बनाती है।
- पहले से मौजूद कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने के लिए इम्यून सिस्टम को निर्देश देती है।
- कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकने के लिए शरीर को प्रशिक्षित करती है।
कैंसर वैक्सीन के प्रकार
- प्रिवेंटिव (रोकथाम वाली) वैक्सीन:
- इनका उद्देश्य कैंसर को विकसित होने से पहले रोकना है।
- यह उन वायरसों के खिलाफ काम करती है जो कैंसर का कारण बनते हैं।
- उदाहरण:
- एचपीवी वैक्सीन (HPV Vaccine): गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर को रोकने के लिए।
- हेपेटाइटिस बी वैक्सीन (HBV Vaccine): लिवर कैंसर को रोकने के लिए।
- थेरेप्यूटिक (इलाज वाली) वैक्सीन:
- यह उन लोगों को दी जाती है जिन्हें कैंसर हो चुका है।
- इसका उद्देश्य इम्यून सिस्टम को कैंसर कोशिकाओं को पहचानने और उन्हें खत्म करने के लिए प्रशिक्षित करना है।
- रिसर्च के तहत विकसित हो रही कुछ वैक्सीन विशेष रूप से प्रोस्टेट, फेफड़े, ब्रेस्ट और अन्य प्रकार के कैंसर के लिए बनाई जा रही हैं।
कैंसर वैक्सीन कैसे काम करती है?
- कैंसर कोशिकाओं की पहचान:
- कैंसर कोशिकाएं सामान्य कोशिकाओं से अलग होती हैं और उनकी सतह पर विशेष प्रोटीन (एंटीजन) होते हैं।
- वैक्सीन इन प्रोटीन को पहचानने के लिए इम्यून सिस्टम को प्रशिक्षित करती है।
- इम्यून सिस्टम को सक्रिय करना:
- वैक्सीन एंटीजन को पेश करके इम्यून सिस्टम को सक्रिय करती है, जिससे शरीर टी-सेल और अन्य एंटीबॉडी बनाता है।
- ये एंटीबॉडी कैंसर कोशिकाओं पर हमला करके उन्हें नष्ट करते हैं।
- कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को रोकना:
- वैक्सीन कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि और प्रसार को रोकती है।
2025 में कैंसर वैक्सीन से उम्मीदें:
- नई वैक्सीन लॉन्च: 2025 में एक नई वैक्सीन लॉन्च की जाएगी, जिसका सफल परीक्षण 100% प्रभावी बताया गया है।
- उपचार में सुधार: यह वैक्सीन विशेष रूप से उन कैंसर के लिए उपयोगी होगी जो अभी तक कठिन माने जाते हैं, जैसे:
- फेफड़े का कैंसर
- स्तन कैंसर
- त्वचा का कैंसर
- व्यापक उपयोग: वैक्सीन की लागत को कम करके इसे व्यापक स्तर पर उपलब्ध कराने की योजना है।
कैंसर वैक्सीन के फायदे:
- सुरक्षा: यह शरीर में सामान्य कोशिकाओं को प्रभावित किए बिना कैंसर कोशिकाओं को खत्म करती है।
- कम साइड इफेक्ट्स: अन्य उपचारों (जैसे कीमोथेरेपी) की तुलना में इसके कम दुष्प्रभाव होते हैं।
- दीर्घकालिक सुरक्षा: यह शरीर में लंबे समय तक प्रतिरक्षा प्रदान कर सकती है।
- संभावित उपचार: उन मरीजों के लिए जो पारंपरिक इलाज से ठीक नहीं हो पाते।
चुनौतियां और सीमाएं:
- कैंसर का प्रकार: सभी प्रकार के कैंसर पर वैक्सीन समान रूप से प्रभावी नहीं हो सकती।
- लागत: वैक्सीन की लागत अधिक हो सकती है, जिससे इसे सभी के लिए उपलब्ध कराना चुनौतीपूर्ण है।
- व्यक्तिगत प्रतिक्रिया: हर व्यक्ति का इम्यून सिस्टम अलग होता है, इसलिए प्रभाव अलग-अलग हो सकता है।
भविष्य की दिशा:
- कैंसर वैक्सीन के विकास में शोध तेजी से हो रहा है।
- 2025 में आने वाली नई वैक्सीन से कैंसर के इलाज में क्रांतिकारी बदलाव की उम्मीद है।
- यह कैंसर से संबंधित मृत्यु दर को कम करने और मरीजों की जीवन गुणवत्ता में सुधार करने में मददगार हो सकती है।
- डायबिटीज की नई दवा: इंसुलिन का नया फॉर्मूला “डियाबेटिक-टी” भारत में उपलब्ध होगा, जो रोगियों के लिए सस्ता और प्रभावी साबित होगा।
- हेल्थकेयर विस्तार: देश में 2025 तक 50,000 नई हेल्थकेयर सुविधाएं विकसित की जाएंगी।
4. ट्रांसपोर्ट: नए एयरपोर्ट और इंटरनेशनल यात्रा
- दो नए एयरपोर्ट: 2025 में भारत में दो नए आधुनिक एयरपोर्ट तैयार होंगे, जो यात्रियों को उन्नत सुविधाएं प्रदान करेंगे।
- सबसे बड़ा एक्सप्रेसवे: देश में सबसे बड़ा और लंबा एक्सप्रेसवे चालू होगा, जिससे यात्रा समय घटेगा और ट्रांसपोर्टेशन लागत कम होगी।
- अंतरिक्ष यात्रा की शुरुआत: 2025 में भारत अंतरिक्ष पर्यटन की शुरुआत करेगा, जिससे आम नागरिक भी अंतरिक्ष की यात्रा का अनुभव कर सकेंगे। स्पेस औरा कंपनी स्पेस बलून से अंतरिक्ष यात्रा करवाएगी जीसकी अधिकतम ऊचाई लगभग 35KM होगी।